The Definitive Guide to maha kali siddha kavach
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धनं मेsश्वान गजान् रत्नानि दिव्यकामिनी: पुत्रान्
सर्वदेवस्तुता देवी शत्रुनाशं करोतु मे ।।
ह्रीं कालिकायै स्वाहा कर्णयुग्मं सदावतु।
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ज्वलदंग-र्-तापेन भवन्ति ज्वरिता भृशम् ।
हूं हूं पातु नेत्रयुग्मं ह्नीं ह्नीं पातु श्रुति द्वयम् ।
कई बार हम किसी विशेष कार्य को असामान्य जानकर click here उसे विशेष सावधानी से और अत्यंत गंभीर होकर करते हैं, यद्यपि उस विशेष कार्य के प्रति हमारी यह गंभीरता सही होती है पर माँ की आराधना के वक्त गंभीरता के साथ-साथ माँ के प्रति प्रेम, विश्वास और उनकी उपासना करने का उत्साह संमिलित होना चाहिए ।
ह्रीं ह्रीं कालिके घोरदंष्ट्रे रुधिर प्रिये । ६ ।
प्राच्यां पातु महाकाली आगन्ेय्यां रक्त दन्तिका।
इति ते कथितं वत्स सर्वमन्त्रौघविग्रहम्।
भक्षय त्रोटय त्रोटय यातुधानान् चामुण्डे सर्वजनान् राज्ञो
यथा शुम्भो हतो दैत्यो निशुम्भश्च महासुरः । ३ ।
इदं कवचं न ज्ञात्वा यो जपेद्दक्षकालिकाम् ।